हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष के रूप में मुझे अतीव प्रसन्नता हो
रही है कि हिंदी विभाग विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजीव जैन जी के नेतृत्व में दिन-प्रतिदिन विकास की
ओर उन्मुख है। मैं इस प्रतिष्ठित विभाग में न केवल अतीत के गौरव को बनाए रखने, बल्कि नए समय की मांगों को
ध्यान में रखते हुए विभाग को नई दिशाओं की राह पर ले जाने की प्रतिबद्धता के साथ शामिल हुआ हूँ। पिछले कुछ वर्षों में
भाषा और साहित्यिक क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास देखे जाने के साथ-साथ उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की मांग की प्रकृति भी
बदल गई है। नई शिक्षा नीति 2020 एक संसाधन पूल के निर्माण से लेकर व्यक्ति के समग्र विकास के मार्ग तक शिक्षा के संबंध
में दृष्टिकोण में बदलाव को दर्शाती है। हिंदी विभाग ने भारतीय शिक्षा नीति-2020 को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ्यक्रम निर्धारित किये हैं।
विभाग द्वारा संचालित एम.ए तथा पीएच.डी. के विद्यार्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ऐसे विषयों जैसे अनुवाद व जनसंचार को शामिल किया गया है।
विभाग आगामी वर्षों में अपने दृष्टिकोण में तभी सफल होगा जब छात्र न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता के मामले में बल्कि खेल,
संस्कृति और कला के सह-पाठ्यचर्या क्षेत्रों में भी अपनी क्षमता हासिल कर सकेंगे। हम उनके सर्वांगीण विकास के लिए एक
वातावरण प्रदान करने का प्रयास करते हैं। विभाग अनुसंधान के मामले में विश्वविद्यालय को विश्वसनीयता प्रदान करता है। हमने
विभाग के सभी शोधार्थियों को बुनियादी ढांचे का समर्थन प्रदान करने का प्रयास किया है और हम कमियों को पूरा करने के
प्रयास को आगे बढ़ाएंगे ताकि उनका काम यथासंभव निर्बाध और परेशानी मुक्त हो। हमारा ध्यान अनुसंधान की प्रकृति के आधार
को व्यापक बनाने और इसे अंतःविषय और सामाजिक रूप से उपयोगी बनाने पर होना चाहिए।
मैं विभाग के उन सभी पूर्व छात्रों के योगदान को स्वीकार करता हूं, जिन्होंने जहाँ भी पहुँचे वहां एक अमिट छाप छोड़ी और विश्वविद्यालय
के नाम को रोशन किया है। हम अपने पूर्व छात्रों से अपने विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए सक्रिय समन्वय, सहयोग, मार्गदर्शन और
रचनात्मक सुझाव का आग्रह करते हैं। यदि विभाग को अपनी सफलता के क्षितिज को व्यापक बनाने में सफल होना है, तो उसे छात्रों, शिक्षकों,
कर्मचारियों, अभिभावकों और लोगों सहित सभी हितधारकों के योगदान और समर्थन की आवश्यकता है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि साथ
मिलकर ऐसा माहौल बनाएं जहां यह आकांक्षा पूरी हो।
प्रो. भारत भूषण
विभाग के प्रमुख